अशोक की तलाश में यशोदा और कृष्णा पहुंचे हरिद्वार-ऋषिकेश

हरिद्वार/ऋषिकेश। एण्डटीवी का फैमिली ड्रामा ‘दूसरी माँ‘ अपनी रोचक कहानी और उसमें आने वाले दिलचस्प मोड़ के साथ लगातार दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर रहा है। शो में अब तक हमने देखा कि अशोक (मोहित डागा) को जब पता चलता है कि उसकी पत्नी यशोदा (नेहा जोशी) यह जान चुकी है कि कृष्णा (आयुध भानुशाली) उसका और माला (निधि उत्तम) का बेटा है, तो वह लापता हो जाता है। हालांकि, हर कोई उसे ढूंढ रहा है, लेकिन यशोदा और कृष्णा अशोक की तलाश में शहर से बाहर निकल जाते हैं। अशोक को ढूंढते-ढूंढ़ते वे दोनों उत्तराखंड के हरिद्वार एवं ऋषिकेश की गलियों एवं घाटों में पहुंचते हैं। उन्हें पता चलता है कि आखिरी बार उसे यहां देखा गया था और दुःख एवं पश्चाताप के चलते उसने साधु बनने और सबकुछ छोड़ देने का फैसला किया है।
यशोदा का किरदार निभा रहीं नेहा जोशी ने कहा, ‘‘यह पता चलने के बाद कि कृष्णा उसके पति की नाजायज औलाद है, यशोदा अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। वह इस सच को स्वीकार करने के लिये संघर्ष कर रही है, लेकिन उसका सबसे बड़ा सपोर्टर अशोक लापता है। दर्शक यशोदा को कृ्रष्णा के साथ अशोक को ढूंढने के सफर पर निकलते देखेंगे। यह सफर परदे पर इमोशनल नजर आ सकता है, लेकिन मुझे आॅफ-स्क्रीन इसकी शूटिंग करने में बहुत मजा आया। हरिद्वार एवं ऋषिकेश जैसे पवित्र शहरों में शूटिंग करना एक आनंददायक अनुभव था। हमारी सुबह की शुरूआत गंगा के खूबसूरत घाटों पर घंटियों की आवाज के साथ होती थी, जोकि हमारे दिन की शुरूआत करने का एक खूबसूरत तरीका है, जो हमारे मन में सकारात्मकता का संचार करती है। हमारे आस-पास के लोगों ने हमें फौरन पहचान लिया और हमारे साथ सेल्फी खिंचवाने के लिये पूछते थे और उन्होंने हमारे शो एवं किरदारों के लिये हमारी तारीफ भी की। इससे वाकई में हमारे दर्शकों के साथ हमारा परस्पर संवाद भी हो पाया, जो हमारे सेट के आस-पास जमा होते थे, शूटिंग देखते थे और हमारे लिये घर का बना खाना भी लेकर आते थे। उनका यह प्यार हमारे लिये बहुत मायने रखता है। हमने इन खूबसूरत पलों का भरपूर आनंद उठाया। हालांकि, मैं पहली बार उत्तराखंड गई थी, लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगी कि यहां के लोग बहुत अच्छे हैं और उनके प्यार एवं लगाव ने हमें बेहद खास महसूस करवाया। उम्मीद है कि हम जल्द ही दोबारा यहां आयेंगे।‘‘ आयुध भानुशाली ऊर्फ कृष्णा ने कहा, ‘‘यशोदा माँ और मैं मेरे पिता अशोक को घर वापस ले जाने के लिये उत्तराखंड आये थे। इस महत्वपूर्ण कहानी की शूटिंग इतने खूबसूरत शहर में करके हमें बहुत अच्छा लगा। हम इतने कम समय में यहां पर जितना घूम सकते थे, उतना घूमे और भरपूर मजा किये। हमने हर की पौड़ी, राम झूला और लक्ष्मण झूला जैसी मशहूर जगहों पर शूटिंग की। मैंने इन जगहों के बारे में सिर्फ सुना था, लेकिन कभी भी वहां गया नहीं था। अपने सफर के दौरान नेहा आई और मैंने यहां की गलियों में घूमने का आनंद उठाया और आलू पूरी, समोसा, चाट एवं मलाई वाली लस्सी जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद भी चखा। इतना ही नहीं, हमने हरिद्वार में शॉपिंग भी की, जो हमने वहां जाने से पहले सोचा भी नहीं था। हमने वहां से अपने घर वालों के लिये छोटे-छोटे शिवलिंग (भगवान शिव की प्रतिकीर्ति) भी खरीदे, जिन्हें पत्थरों से बनाया गया था। मुझे गंगा आरती करने में भी बहुत मजा आया।‘‘

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